
Neem Karoli Baba : बाबा नीम करोली – एक ऐसे संत जिन्हे भक्त लोग हनुमान जी का अवतार मानते हैं।( नीम करोली बाबा की लीला,चमत्कार,नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग, फोटो, कैंची धाम स्थान कहां है, कैंची आश्रम उत्तराखंड,मृत्यु, कहानी, विचार)
Neem Karoli Baba: अनंत काल से देव भूमि भारत में अनेक महान संतों, पुरुषो और दिव्य शक्तियों का जन्म हुआ है, जिनके जीवन का उद्देश्य ही मानव जाति का कल्याण था। बीसवी शताब्दी में उन्ही महान संतों में से एक दिव्य संत हैं नीब करोरी बाबा । जिन्हे भक्त नीम करोली बाबा के नाम से भी जानते हैं।
biography of neem karoli baba in hindi: बाबा नीम करोली नैनीताल
नीम करोली बाबा को महाराज जी या बाबा जी के नाम से भी पुकारा जाता था। नीम करोली बाबा की बचपन की कहानी- नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक गांव में सन 1900 के आस पास हुआ था। इनके बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा रखा गया। इनके पिता जी श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा जी थे। जिन्होंने अपने पुत्र लक्ष्मी नारायण का विवाह 11 वर्ष की आयु में ही एक सुयोग्य कन्या से करा दिया गया था।
Life of Neem Karoli Baba:
लेकिन तब लक्ष्मी नारायण शर्मा का मन सांसारिक गतिविधियों में नही रमा। और वो एक दिन बिना बताए घर त्याग कर कहीं चले गए। घूमते – 2 गुजरात के वावडिया ग्राम पहुंचे। जहां पर उन्होंने तालाब किनारे एक संत के आश्रम में रुककर साधना की।
उसी तालाब में खड़े होकर घंटो साधना में लीन रहते थे। वहां पर इन्होंने अपने जीवन काल के 7- 8 वर्ष व्यतीत किए। उसी तालाब किनारे हनुमान जी के मंदिर की स्थापन कराई। जो आज भी विद्यमान है और लोगों में इस मंदिर को लेकर बड़ी आस्था है।
काफी दिन गुजर गए, बाबा जी के पिता जी अपने पुत्र को ढूंढते – 2 वावडया पहुंचे, और साथ ही आदेश दिया कि – जाओ और अपने गृहस्थ जीवन का पालन करो। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए नीम करोली बाबा जो उस समय लक्ष्मण दास के नाम से आस पास के इलाके में मशहूर थे, अपने ग्राम को चल पड़े।
नीम करोली बाबा का परिवार:
चूंकि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी इनका अधिकतर समय धार्मिक और जन कल्याण के कार्यों में ही व्यतीत होता था। इनके 3 संतान हुई। जिनमे से 2 पुत्र और 1 पुत्री हुए।
Neem Karoli Baba Miracles: नीम करोली बाबा चमत्कार
बहुत ही दिलचस्प किस्सा है एक बार नीम करोली बाबा रेलगाड़ी में यात्रा करने के उद्देश्य से चढ़ गए। T.T.E. अन्य यात्रियों के टिकट जांचते हुए बाबा जी तक पहुंचा और उनसे टिकट की मांग की। बाबा जी के पास टिकट नहीं था, उस अधिकारी ने भला – बुरा कहते हुए उनको गाड़ी से नीचे उतर दिया। बाबा जी ने भी उसे कुछ नहीं कहा और उतरकर जमीन में अपना चिमटा गड़ा कर साधनारत हो गए। उस वक्त अंग्रेजों का शासन था।
इसके बाद रेलगाड़ी के पहिए जैसे जाम हो गए हों। ड्राइवर के काफी प्रयास के बाद गाड़ी चली नही, शाम होने लगी। यात्रियों ने उन अंग्रेज अधिकारी TTE को और ड्राईवर गार्ड से कहा – जाओ सन्यासी से क्षमा मांगो अन्यथा गाड़ी चलने से रही। मन मानकर अंग्रेज अधिकारी ने बाबा जी से क्षमा मांगते हुए आदर सहित रेलगाड़ी में चलने के लिए मनाया।
बाबा जी ने भी उसे क्षमा करते हुए गाड़ी में बैठे, और आश्चर्य की बात ये कि जो गाड़ी घंटो से चल नहीं रही थी। सरपट चल पड़ी। बाद में वो अंग्रेज अधिकारी भी बाबा जी का भक्त बन गया। इस स्थान का नाम नीब करोरी ग्राम था। जो आज एक रेलवे स्टेशन है और यहां पर प्रत्येक पैसेंजर ट्रेन रुकती है। तभी से बाबा जी नीब करोरी बाबा के नाम से भी पहचाने जाने लगे।
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Neem Karoli Baba बाबा नीम करोली के चमत्कार:
Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स बाबा के अनन्य भक्ति में से एक थे। उनके अनुसार एक दिन किसी उन्हे कंबल ओढ़े हुए किसी तेजस्वी बुजुर्ग ने आवाज दी और कहा कि भारत के नैनीताल स्थित कैंची धाम जाओ, तुम्हारी सारी समस्या का समाधान वहीं होगा।
इस घटना के काफी दिनों बाद स्टीव जॉब्स भारत आए, तब वो अपने आईफोन प्रोजेक्ट को लेकर बहुत परेशान रहा करते थे। वो कैंचीधाम पहुंचे। लेकिन तब नीम करोली बाबा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। कुछ दिन रहकर वापस अमेरिका लौटे, जिसके बाद की कहानी हम सब जानते हैं कि स्टीव जॉब्स कौन थे और एप्पल क्या है।
अपने Mentor स्टीव जॉब्स के सुझाव पर facebook के सस्थापक नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग कैंची धाम आए, तब उनको कोई नही जानता था, और उस वक्त फेसबुक को बंद करने की योजना बना रहे थे। मंदिर प्रांगण में ही कुछ दिन बाबाजी के अलौकिक सानिध्य में बिताने के बाद मार्क वापस अमेरिका चले आए। जिसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नही देखना पड़ा और परिणाम पूरी दुनिया के सामने हैं।
इस घटना का जिक्र स्वयं मार्क जुकरबर्ग ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अमेरिका दौरे के दौरान कही थी। जो हम सभी जानते हैं।

Neem Karoli Baba नीम करोली बाबा की महिमा:
बाबा जी का संपूर्ण जीवन अलौकिक लीलाओं से भरा पड़ा है। अपने भक्त अनुयायियों पर कष्ट आते देख स्वयं कही से पहुंच जाते थे। तमाम चमत्कारों में से एक यह है कि भारत और चीन का युद्ध चल रहा था। उसी युद्ध में उनके एक भक्त दंपति का पुत्र भी सीमा पर दुश्मनो से मोर्चा लिए हुए था। जिसे लेकर उनकी भक्त दंपती बहुत परेशान थे।
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अचानक बाबाजी ढलती शाम को उन भक्त दंपति के यहां पहुंचकर रात्रि विश्राम की इच्छा बताते हैं। बरामदे में ही चारपाई लगवाकर कंबल बिछाकर उसे ही ओढ़ कर सो जाते हैं। भक्त दंपति के अनुसार बाबा जी रात के कंबल से कराहने और टन टन की आवाज पूरी रात आती रही। दंपति संकोचवश बाबा जी के पास नही जा रहे थे।
अगली सुबह बाबा जी ने उठते ही बिस्तर लगे कंबल को गठरी बनाकर देते हुए कहा कि इसे खोलना मत और इसको ले जाकर हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित कर देना, और तुम्हारा पुत्र फलां दिन को आ जायेगा। इतना कहकर बाबा जी वहां से तुरंत प्रस्थान कर गए।
दंपति ने न चाहते हुए कौतूहल वश उस कंबल की गठरीं को रास्ते में खोलकर देख ही लिया। दंपति की आंखे फटी की फटी रह गई। रात को उन्होंने बाबा जी के बिस्तर में से आती हुई आवाजों को सुना था, वो गठरी बंदूक की खाली कारतूसों से भरी पड़ी थी।
हरिद्वार से लौटकर आने के बाद उनका पुत्र भी बाबा जी के बताए हुए तारीख को आ गया। और उसने बताया कि जंग में मेरे साथ के सारे सैनिक शहीद हो गए। पता नही मैं कैसे बच गया।
नीम करोली बाबा मंत्र जाप में केवल राम नाम का अनवरत जप किया करते थे और शिष्यों से भी राम नाम जपने को कहते थे। नीम करोली बाबा की महिमा अत्यंत श्रद्धेय और अनुकरणीय है।
Ashram of Neem Karoli Baba Ashra नीम करोली बाबा का मंदिर :
बाबा जी ने गुजरात से लेकर दिल्ली, फर्रुखाबाद, वृंदावन और नैनीताल स्थित कैंची धाम जैसे अनेक जगहों पर मंदिरों का निर्माण कराया। उनमें से ज्यादा प्रसिद्ध नीम करोली बाबा आश्रम कैची धाम उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम ही है।
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Neem Karoli Baba नीम करोली बाबा की कहानी :
एक बार कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेतागण बाबाजी से मिलने उनके आश्रम पहुंचे। उन नेताओं में से एक नीम करोली बाबा के विचार से बहुत प्रभावित थे। उनसे बाबा जी ने पूछा की बोलो क्या चाहते हो – कुछ न बोलते हुए उन्होंने हाथ जोड़ते हुए श्रद्धा वश सिर झुका लिया। तब बाबा जी ने वहां उपस्थित अन्य लोगों से पूछा कि भारत में सबसे उच्च संवैधानिक पद कौन सा है ?
लोगों ने उत्तर में राष्ट्रपति पद बताया। तब बाबा जी ने कहा – जाओ राष्ट्रपति बन जाओगे। उस वक्त शायद ही किसी को आश्चर्य न हुआ हो। लेकिन वही कांग्रेस के नेता कुछ दिनों बाद ही राष्ट्रपति के रूप में चुने गए।
वो व्यक्ति कोई और नहीं, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर श्री शंकर दयाल शर्मा जी थे।
how did Neem Karoli Baba Die: नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई:
11 सितंबर 1973 की एक रात जब बाबा जी अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे। अचानक उनकी तबियत खराब होने लगी। भक्तों ने आनन – फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन मास्क लगाने के तुरंत बाद निकाल कर बाबा जी ने फेंक दिया।
और वहां उपस्थित भक्तो से कहा कि अब मेरे जाने का समय आ गया है और तुलसी – गंगाजल लाने का आदेश दिया। तदुपरांत उन्होंने तुलसी और गंगाजल ग्रहण कर रात के 1:15 मिनट पर अपने नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया। मान्यता है कि बाबा अलौकिक रूप में अपने भक्तों के साथ सदैव विराजमान रहते हैं।
Facts About Neem Karoli Baba: Great Indian Yogi Neem Karoli Baba
भक्त लोग बाबा जी को हनुमान जी का अवतार मानते हैं। नीम करोली बाबा मंत्र जप में केवल राम – राम का नाम अनवरत जपा करते थे। नीम करोली बाबा के मानने वालों भक्तों की गिनती अनंत है, उन नामों में आम जनता के साथ नामचीन हस्तियां भी सम्मिलित रही है।
जैसे – एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक जूलिया राबर्ट जैसे अनेकों नाम, जिन्हे शायद हम न जानते हों। तो ऐसी ही अनेक घटनाओं से भरी है है नीम करोली बाबा की कथा।
Address of Neem Karoli Baba
नीम करोली बाबा जी का पता पूछना और बताना दोनो ही एक तरह से हास्यास्पद सा प्रतीत होता है क्योंकि maharaj Neem Karoli Baba सर्वत्र व्याप्त हैं, बाबाजी के भक्त दुनिया में जहां से भी पुकारें, बाबा उनके समक्ष होते हैं। वैसे भारत के साथ विदेशों में भी कई जगह उनके आश्रम हैं लेकिन सबसे सुप्रसिद्ध आश्रम कैंची धाम, नैनीताल ही है।
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FAQ-

apki lekh bahut acha laga . baba ji ko sat sat pranam. jai neem karoli baba